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परिष्करण में एमआरपीएल की अव्वल दर्जे की प्रौद्योगिकी

(मंगलूर रिफाइनरी एण्ड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेडपहली रिफ़ाइनरी रही जिसकी स्‍थापना सार्वजनिक  क्षेत्र से बाहर हुई थी.  सबसे पहले वर्ष 1995 में चालू की गई रिफ़ाइनरी का अपने आप विस्‍तार और रूपांतरण होता रहा है.  इस क्रमागत उन्नति और रूपांतर के चलते यह रिफ़ाइनरीवक्‍त के साथ उभरती चुनौतियों का सामना करते हुए भारतीय परिष्करण उद्योग के लिए एक अभिन्न अंग के रूप में उभरी है.  अपनी शुरुआत के बाद एमआरपीएल द्वारा अपनाई गई अव्वल दर्जे की परिष्करण प्रौद्योगिकियों का यह एक नज़ारा है.)

क्रूड तेल, काला, चिपचिपा द्रव होता है जो गंधक, नाइट्रोजन और धातुओं जैसे अशुद्ध तत्वों यानी कार्बन और हाइड्रोजन अणुओं का समावेश होता है.  एक ईंधन और अन्‍य मूल्‍य-वर्धित उत्‍पादों के रूप में इस्‍तेमाल करने के लिए क्रूड तेल का पृथक्‍करण कर रिफ़ाइनरी में शुद्धीकरण करना पड़ता है.             

रिफ़ाइनरी प्रक्रियाओं का वर्गीकरण इस प्रकार किया जाता है:

  1. प्राथमिक प्रोसेसिंग यूनिटें - पृथक्‍करण प्रक्रियाएँ
  2. गौण प्रोसेसिंग यूनिट
  3. उपचार यूनिटें और मूल्‍य वर्धन.
  1. प्राथमिक प्रोसेसिंग यूनिटें - पृथक्‍करण प्रक्रियाएं

क्रूड तेल का परिष्करण करते समय सबसे पहले उसे उबालने तक गरम किया जाता है.  उबले हुए द्रव का, एक आसवन स्‍तंभ में विभिन्‍न द्रवों और गैसों में पृथक्‍करण किया जाता है.  आसवन के दौरान, हाइड्रोकार्बन घटकों की सापेक्ष वाष्‍पशीलता के जरिए पृथक्‍करण होता है.  इस तरह से आसुत उत्‍पादों का, अशुद्ध तत्वों को हटाने की खातिर शुद्धीकरण किया जाता है. 

                एमआरपीएल में तीन क्रूड और निर्वात आसवन यूनिटें हैं जिनकी कुल क्षमता 300,000 BPD है. इन तीनों यूनिटों के साथ एमआरपीएल की, मिश्रण में क्रूड को प्रोसेस करने की क्षमता 18 API से 46 API तक बढ़ गई है.  नई CDU/VDU 3, जो चरण-3 विस्‍तार काँप्‍लेक्‍स का एक भाग रही, अधिक TAN युक्‍त क्रूड का प्रोसेसिंग करने के लिए बनाई गई है.  ये सभी यूनिटें अधिक एकीकृत यूनिटें हैं जिनको लगभग अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क के करीब ऊर्जा की खपत कम करने के लिए बनाया गया है. 

  1. गौण प्रोसेसिंग यूनिटें - रूपांतरण प्रक्रियाएं

गौण प्रोसेसिंग यूनिटों को फ़ीडस्‍टॉक, क्रूड यूनिट से मिलता है जिसका मूल्‍य वर्धित उत्‍पादों में उन्नयन किया जाता है.  क्रूड का पृथक्‍करण करते समय धाराओं में कई भारी हाइड्रोकार्बन अणु रह जाते हैं.  इन अणुओं का हल्‍के उत्‍पादों में रूपांतरण करने की खातिर भारी अणुओं का दो या उससे अधिक हल्‍के अणुओं में '' भंजन '' किया जाता है.  करीब 500°C पर चलने वाली इस रूपांतरण प्रक्रिया का तीन प्रकार में वर्गीकरण किया जाता है

  • उत्‍प्रेरकी भंजन
  • हाइड्रो क्रैकिंग
  • जलोपचार
  • रूपांतर और समायवन(आइसोमराइज़ेशन)
  • तापीय भंजन
  • ब्‍लोइंग

              क. उत्‍प्रेरकी भंजन: इस प्रक्रिया में रासायनिक अभिक्रिया में तेजी लाने में के लिए उत्‍प्रेरक नामक तत्व का उपयोग किया जाता है.  इस प्रक्रिया के दौरान अधिक मात्रा में भारी उत्‍पादों का मूल्यवान प्रॉपीलीन, LPG, ईंधन गैस, गैसोलीन और डीज़ल में रूपांतरण किया जाता है. 

एमआरपीएल में उत्‍प्रेरकी भंजन, पेट्रोकेमिकल द्रवीकृत उत्‍प्रेरकी क्रैकर यूनिट (PFCCU) के जरिए हासिल किया जाता है जिसमें फ़ीड निर्वात गैस तेल में गतिमान द्रवीकृत उत्‍प्रेरकी संस्‍तर पर अभिक्रिया उत्‍पन्‍न की जाती है.  एमआरपीएल की PFCCU, प्रॉपीलीन का अधिक उत्‍पादन बनाने के लिए बनाई गई है जो मूल्यवान पॉलीप्रॉपीलीन उत्‍पाद के लिए एक कच्चा माल है.  प्रॉपीलीन के अलावा यूनिट में गैसोलीन के लिए मिश्रण स्‍टॉक भी उत्‍पन्‍न किया जाता है.    

            ख. हाइड्रो क्रैकिंग: उत्‍प्रेरकी भंजन के दौरान उत्‍पादन को और बढ़ाने की खातिर हाइड्रो क्रैकिंग नामक प्रक्रिया में हाइड्रोजन जोड़ा जाता है.  इस प्रक्रिया में एक स्थिर उत्‍पाद हासिल करने के लिए भंजित उत्‍पादों का, हाइड्रोजन की मदद से संतृप्तीकरण किया जाता है. 

एमआरपीएल में दो हाइड्रोक्रैकर हैं जिनमें अधिक गंधक युक्‍त निर्वात गैस तेल का प्रोसेसिंग करते हुए अल्‍ट्रा प्‍यूर डीज़ल का उत्‍पादन किया जाता है.  यह यूनिट 190 kscg दाब पर काम करती है जब कि हाइड्रोजन के साथ फ़ीड की अभिक्रिया, हल्‍के उत्‍पादों का उत्‍पादन करने के लिए उत्‍पन्‍न की जाती है. 

           ग. जलोपचार:  जलोपचार प्रक्रिया के अंतर्गत, अशुद्ध हल्‍के उत्‍पाद जैसे नैफ़्ता, केरोसीन और डीज़ल उत्‍पादों का, हाइड्रोजन की मौजूदगी में उत्‍प्रेरकी सतह पर उपचार किया जाता है जिससे कि हानिकारक गंधक और नाइट्रोजन को हटाया जा सके.  इस तरह से उपचारित उत्‍पादों में गंधक का बहुत ही कम अंश होता है.

एमआरपीएल में, दो डीज़ल जलोपचारक यूनिटें हैं जिनमें हाइड्रोजन की मौजूदगी में उपचार के जरिए अल्‍ट्रा-लो गंधक युक्‍त डीज़ल का उत्‍पादन किया जाता है.  यूनिटें,  60 kscg से 110 kscg दाब पर काम करती हैं जिनमें अधिक गरमी एकीकरण प्रणालियां प्रदान की गईं हैं. इसके अलावा, कोकर गैस तेल, हल्‍का नैफ़्ता और भारी नैफ़्ता का, आगे प्रोसेसिंग करने से पहले उनकी नाम निर्दिष्‍ट यूनिटों में जलोपचार किया जाता है.  कोकर भारी गैस तेल यूनिट, भारत में एक अनोखी यूनिट है जिसे डीलेड कोकर यूनिट से 100% भारी गैस तेल के साथ चलाने के लिए बनाया गया है.

उत्‍पाद डीज़ल और मूल्‍य वर्धन का इष्‍टतमीकरण करने के लिए समर्पित डीज़ल ब्‍लेंडर्स का उपयोग किया जाता है.

      घ. रूपांतर और आइसोमराइज़ेशन: गैसोलीन फ़ीडस्‍टॉक का, उनका ऑक्‍टेन रेटिंग बढ़ाने के लिए उपचार किया जाता है जो 0 से 100 तक पैमाने पर डीटोनेशन के प्रति उसके प्रतिरोध का मापन है.  (इंजन नॉकिंग तब होता है जब स्‍पार्क प्‍लग्‍ग से कोई इन्‍पुट न मिलने पर आंतरिक अभिक्रिया इंजन, अपने आप प्रज्‍वलित हो जाता है.) अगर ऑक्‍टेन रेटिंग अधिक न हो तो इंजन, अंत में अपरिवर्तनीय ढंग से खराब हो जाता है.  इसे टालने की दृष्टि से ऑक्‍टेन रेटिंग को 95 से 98 तक बढ़ाना आवश्‍यक है.  अधिक ऑक्‍टेन युक्‍त उत्‍पाद बनाने के लिए प्रयुक्‍त प्रक्रिया को उत्‍प्रेरकी रूपांतर कहते हैं.  रूपांतर की प्रक्रिया में प्‍लैटिनम आधारित उत्‍प्रेरकी नैफ़्तेनिक हाइड्रोकार्बन (संतृप्त साइक्लिक हाइड्रोकार्बन) का ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (असंतृप्‍त साइक्लिक हाइड्रोकार्बन) में रूपांतरण किया जाता है जिनकी ऑक्‍टेन रेटिंग काफ़ी अधिक होती है.  इस तरह से रूपांतरित उत्‍पाद का आगे चलकर हल्‍के और भारी रीफ़ॉर्मेट में पृथक्‍करण किया जाता है जिससे कि RON अणुओं का सांद्रण किया जा सके.  इन रीफ़ार्मर्स के साथ एमआरपीएल, 1996 से भारत में सीसा मुक्‍त अधिक ऑक्‍टेन युक्‍त गैसोलीन का उत्‍पादन करने वाली पहली कंपनी रही.

रूपांतर के अलावा, आइसोमराइज़ेशन प्रक्रिया का, हल्‍के नैफ़्ता घटकों का RON बढ़ाने के लिए भी उपयोग किया जाता है जो गैसोलीन उत्‍पादन के लिए मिश्रण स्‍टॉक मुहैया कराता है. 

एमआरपीएल में लगातार काम करने वाले दो उत्‍प्रेरकी रीफ़ॉर्मर्स हैं और एक साझा रीफ़ॉर्मेट विपाटक यूनिट है.  इसके अलावा, मिश्रित क्‍ज़ाइलीन यूनिट, आगे चलकर BTX घटकों का पृथक्‍करण करती है जिससे कि ऐरोमैटिक काँप्‍लेक्‍स के लिए फ़ीडस्‍टॉक उपलब्‍ध कराया जा सके.

एमआरपीएल की आइसोमराइज़ेशन यूनिट में, विभिन्‍न यूनिटों से प्राप्‍त हल्‍के नैफ़्ता घटकों का उपचार किया जाता है जिनका गैसोलीन मिश्रण स्‍टॉक में उन्नयन करते हुए मूल्‍य वर्धन किया जाता है. 

रिफ़ाइनरी में समर्पित MS ब्‍लेंडर, गैसोलीन फ़ीडस्‍टॉक का इष्‍टतमीकरण करता है और हल्‍की नैफ़्ता धाराओं का मूल्‍य वर्धन करता है. 

        ङ. तापीय भंजन:  इस प्रक्रिया में अधिक भारी फ़ीडस्‍टॉक का न तो उत्‍प्रेरक के साथ न ही हाइड्रोजन के साथ भंजन किया जाता है बल्कि इसमें बस गरमी उत्‍पन्‍न की जाती है जिसे तापीय भंजन कहा जाता है.  आसवन यूनिटों से प्राप्‍त अल्‍प अवशिष्‍ट अथवा अधस्‍तलज के तत्वों का सामान्‍यत: तापीय भंजन करते हुए हल्‍के उत्‍पाद उत्‍पन्‍न किए जाते हैं.

एमआरपीएल के पास दो हल्‍के तापीय भंजन यूनिटें हैं जिनका नाम है विस्‍ब्रेकर्स और एक गहन तापीय भंजन, डीलेड कोकर यूनिट (DCU) है.  डीलेड कोकर यूनिट में चार कोकर ड्रम हैं जिनमें भारी हाइड्रोकार्बन चेन से अवशिष्‍ट कार्बन को घनीभूत कर पृथक्‍कृत किया जाता है.  यूनिट में कोक जल पृथक्‍करण प्रणाली के साथ एक जलीय कोकर कटिंग प्रणाली प्रदान की गई है. 

      च. बिटूमेन ब्‍लोइंग: आसवन स्‍तंभ के अधस्‍तलज से प्राप्‍त अल्‍प अवशिष्‍ट का वायु की मदद से समर्पित रीएक्‍टर का उपयोग करते हुए ऑक्‍सीकरण किया जाता है जिससे अधिक चिपचिपे बिटूमेन का उत्‍पादन होता है.  बिटूमेन का ग्रेड, उत्‍पाद में बचे वाष्‍पशील पदार्थ की मात्रा पर निर्भर होता है: वाष्‍पशील पदार्थ जितने कम होंगे अवशिष्‍ट बिटूमेन उतना ही सख्‍़त होगा. 

एमआरपीएल में बिटूमेन ब्‍लोइंग यूनिट है जिसमें VG30 और VGO40 ग्रेड के बिटूमेन का उत्‍पादन किया जाता है.

  1. उपचार:

उपचार के दौरान उन अणुओं को ख़ासकर गंधक और नाइट्रोजन को हटाया जाता है जो संक्षारक होते हैं अथवा वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं.  चूंकि 1 अप्रैल, 2020 से भारत में बेचे गए गैसोलीन और डीज़ल में प्रति दशलक्ष 10 भाग (ppm) अथवा 10 मिली ग्राम प्रति किलोग्राम से अधिक गंधक अंश नहीं होना चाहिए इसलिए उपचार और शुद्धीकरण बेहद महत्‍वपूर्ण है.  इन प्रक्रियाओं का प्रयोजन है, उत्‍सर्जन कम करना और अशुद्ध तत्वों का निष्‍कर्षण करना/उनको नष्ट करना. 

रिफ़ाइनरी में उपचार प्रक्रिया, गंधक रिकवरी यूनिट में अमीन मधुरण और गंधक के निष्‍कर्षण के जरिए की जाती है.  रिफ़ाइनरी में उत्‍पन्‍न विभिन्‍न उत्‍पादों से गंधक रिकवर करने के लिए एमआरपीएल में छह गंधक रिकवरी यूनिटें (SRU) हैं.  ये SRU, उत्‍पादित ईंधन में नाइट्रोजन की मौजूदगी के कारण उत्‍पन्‍न अमोनिया गैसों को भी संभालती हैं.

SRU के अलावा ईंधन में हानिकारक हाइड्रोजन सल्‍फाईड और मर्केप्‍टान घटाने के लिए कास्टिक धावन और मेरॉक्‍स यूनिटें भी हैं.  यूनिट में समर्पित भुक्‍तशेष कास्टिक को संभालने वाली यूनिट में, निपटाने से पहले गंध और सांद्रण कम किया जाता है.

मूल्‍य वर्धन के अंग के तौर पर रिफ़ाइनरी में एक पॉलीप्रॉपीलीन यूनिट है जिसमें प्रॉपीलीन का, पॉलीप्रॉपीलीन पेलेट उत्‍पन्‍न करने की खातिर ज़‍िग्‍गर-नट्टा प्रक्रिया के जरिए उपचार किया जाता है.  पॉलीप्रॉपीलीन, एक दीर्घ चेन युक्‍त पॉलीमर है जिसे प्रॉपीलीन मोनोमर से उत्‍पन्‍न किया जाता है.  सक्रिय उत्‍प्रेरक की मदद से प्रॉपीलीन पर ताप एवं दाब दोनों उत्‍पन्‍न करने के बाद प्रॉपीलीन मोनोमर, संयोजन से पॉलीप्रॉपीलीन नामक दीर्घ पॉलीमर चेन बनाते हैं.  फ़ीड रेट और उत्‍प्रेरकों, सह-उत्‍प्रेरकों, स्‍टीरियो मॉडिफायर, हाइड्रोजन और योजकों के सहारे पॉलिमर के गुणधर्म में समायोजन किया जाता है.

  • ऑफसाइट और उपयोगिताएं

रिफ़ाइनरी में और रिफ़ाइनरी से क्रूड प्राप्‍त करने, संग्रहीत करने और फ़ीडिंग करने के लिए रिफ़ाइनरी में टैंक क्षमता और पाइपलाइनों की आवश्‍यकता होती है.  LPG को तो बुलेटों में संग्रहीत किया जाता है लेकिन टैंक की अंतर्वस्‍तुओं के प्रकार के आधार पर समर्पित अस्‍थाई एवं निश्चित रूफ़ टैंकों की ज़रूरत पड़ती है.

यह रिफाइनरी, नव मंगलूर बंदरगाह पर हर तरह के मौसम को झेलने वाले प्रमुख बंदरगाह से जुड़ी है.  पूरी तरह से लादी गईं  245m लंबी (90000 T) जहाजों को जेटियों में बांधा जा सकता है.  पाइपलाइन कनेक्टिविटी के जरिए नव मंगलूर बंदरगाह पर रिफ़ाइनरी के लिए आवाजाही की सुविधा प्रदान की गई है.  आगे, रिफ़ाइनरी के सिंगल पाइंट मूरिंग सिस्‍टम के सहारे बहुत बड़े क्रूड वाहकों (VLCCs) को बांधा जा सकेगा. 

इसके अलावा, रिफ़ाइनरी से राज्‍य के अंदरूनी भागों में उत्‍पाद का हस्‍तांतरण करने के लिए मंगलूरु-हासन-बेंगलूरु पाइपलाइन बिछाई गई है.

रिफ़ाइनरी में हाइड्रोजन की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने के लिए रिफ़ाइनरी में हाइड्रोजन जनरेटर्स की ज़रूरत पड़ती है.  हाइड्रोजन उत्‍पन्‍न करने वाली इन यूनिटों में भाप मीथेन रीफ़ॉर्मिंग प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है जिसमें 99.9% शुद्धता के साथ हाइड्रोजन का उत्‍पादन किया जाता है. 

एमआरपीएल में रिफ़ाइनरी काँप्‍लेक्‍स के अंदर तीन हाइड्रोजन उत्‍पादन यूनिट हैं. 

रिफ़ाइनरी की विद्युत आवश्‍यकताओं की पूर्ति, रिफ़ाइनरी के समर्पित सह-उत्‍पादन विद्युत संयंत्र से की जाती हैं.  विद्युत संयंत्र में बॉइलर भाप टर्बाइन जनरेटर और गैस टर्बाइन ताप रिकवरी भाप जनरेटर लगाए गए हैं जिससे ईंधन आवश्‍यकताओं का अनुकूलन किया जाता है.

इसके अलावा, समर्थक सुविधाओं जैसे शीतलन टावर, अवखनिजन जल संयंत्र, नाइट्रोजन और वायु प्रणालियों के सहारे रिफ़ाइनरी प्रचालन जारी रखना संभव होता है. 

रिफ़ाइनरी में नेत्रावती नदी से ताजा जल और मंगलूरु नगर निगम से उपचारित मल जल प्राप्‍त किया जाता है.  रिफ़ाइनरी के अंदर समर्पित रिवर्स ऑस्‍मोसिस सुविधाएं प्रदान की गईं हैं जिससे कि उपचारित मल जल की गुणवत्‍ता, अवखनिजन फ़ीड की गुणवत्‍ता तक बढ़ाई जा सके और ताजा जल की खपत को इष्‍टतम बनाया जा सके.  नया विलवणन संयंत्र का निर्माण किया जा रहा है जो जल्‍द ही काम करना शुरु कर देगा.

 

एमआरपीएल की अनोखी खूबियाँ

  1. भारत में डीज़ल और गैसोलीन दोनों के मामले में BSVI ग्रेड का ईंधन मुहैया कराने वाली पहली कंपनी रही
  2. रिफ़ाइनरी, 18 API (मिश्रित) से 46 API के घनत्‍व वाले सब से कठिन क्रूड और हल्‍के से भारी/खट्टे क्रूड से लेकर मधुर क्रूड का प्रोसेसिंग करने में काबिल है.  आगे, अधिक TAN युक्‍त क्रूड का, क्रूड और निर्वात आसवन यूनिटों में से एक में योजकों को जोड़े बगैर सीधे प्रोसेसिंग किया जा सकेगा.
  3. उत्‍पाद का विश्लेषण करने के लिए रिफ़ाइनरी के अंदर NABL द्वारा प्रमाणित प्रयोगशाला है.